देहरादून

साहित्य के बिना जीवन अधूरा : मुन्ना सिंह चौहान सुनीता चौहान की पुस्तकों का लोकार्पण समारोह साहित्य को नए आयाम दें

 

देहरादून। विनसर प्रकाशन द्वारा प्रकाशित वरिष्ठ लेखिका सुनीता चौहान की दो पुस्तको का लोकार्पण रविवार को ट्रांजिट हॉस्टल में आयोजित समारोह में किया गया।
सुनीता चौहान की दो पुस्तकों ‘पहाड़ के उस पार’ एवं ‘बरखा रानी’ का लोकार्पण एक साहित्यिक कार्यक्रम में हुआ।
लोकार्पण समारोह के अध्यक्ष व वरिष्ठ साहित्यकार पदमश्री लीलाधर जगूड़ी ने कहा कि सुनीता चौहान जौनसार ही नहीं बल्कि उत्तराखण्ड की एक प्रतिभासंपन्न साहित्यकार हैं। उन्होंने उन्हें बेहद सम्भावनाशील रचनाकार बताते हुए उन्हें शुभकामना दी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि हमें गर्व है कि सुनीता हमारे क्षेत्र से आती हैं। उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि नई पीढ़ी लेखन के क्षेत्र में नई इबारत लिख कर अपने कौशल का परिचय दे रही है। उन्होंने कहा कि आज समाज में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हम मशीनी हो गए हैं। उन्होने लेखिका को शुभकामना देते हुए कहा कि उनके पास समाज को देने के लिए बहुत कुछ है, इसी तरह साहित्य सेवा में सन्लग्न रहें।
पुस्तकों की समीक्षा करते हुए डा. नन्दकिशोर हटवाल ने कहा कि ‘पहाड़ के उस पार’ उपन्यास में पहाड़ी लड़की की दास्तान है जिसने जीवन से मिली विसंगतियों को अपनी हिम्मत, जिजीविषा से बदलाव की वह राह बनाई, जो समाज को जोड़ती हुई जिन्दगी के पहलुओं को समेटे नये आयाम रचती है। उन्होंने कहा कि सुनीता चौहान का उपन्यास सादगी और पहाड़ की संवेदनशीलता का चित्रण है। सुनीता की दूसरी रचना ‘बरखा रानी’ एक बाल कहानी संग्रह है जिसमें बच्चों की मुस्कुराहट के लिए उनकी राह से कंटीली झाड़ियां साफ करती और उनकी जिन्दगी में फूलो की क्यारियाँ उगाती है। इन रचनाओं से यह संदेश तो स्पष्ट है कि जीवन केवल किताबों में ही नहीं, बल्कि जंगल, नदियों, पहाड़ों, गुफाओं में भी छिपा है।
पाठकीय टिप्पणी करते हुए प्रो. मधु थपलियाल ने कहा कि अच्छा लेखक होने के लिए संवेदनशीलता जरूरी होती है और उनके साहित्य में यह परिलक्षित होता है।
कार्यक्रम में मायासिंह, मनमोहन, उर्मिला, विमला, संगीता, कविता, कलमसिंह उपस्थित रहे। संचालन बीना बेंजवाल ने किया।

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