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मायावती अकेले लड़ेगी चुनाव

बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने बहुत बड़ा ऐलान किया। उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारियों की बैठक की और कहा कि बसपा इस बार अकेले चुनाव लड़ेगी। इसके बाद उन्होंने जो कहा वह राजनीतिक रूप से बहुत अहम है, हालांकि तथ्यात्मक रूप से उसका कोई आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि बसपा जब भी किसी के साथ तालमेल करके लड़ती है तो बसपा का वोट सहयोगी पार्टी को ट्रांसफर हो जाता है लेकिन सहयोगी पार्टियां अपना वोट बसपा उम्मीदवारों को नहीं दिला पाती हैं। इसलिए इस बार पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी।

हालांकि उनकी यह बात तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है। सबको पता है कि पिछले लोकसभा चुनाव में इसका उलटा हुआ था। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने साथ मिल कर चुनाव लड़ा था, जिसमें सपा का वोट बसपा को मिल गया था लेकिन बसपा का वोट सपा को ट्रांसफर नहीं हुआ। इसका नतीजा यह हुआ है कि बसपा की सीटें जीरो से बढ़ कर 10 हो गईं और सपा पांच पर ही अटकी रही। असल में मायावती ने 2014 में लोकसभा का चुनाव अकेले लड़ा था तो उनको एक भी सीट नहीं मिली थी, जबकि सपा ने अकेले लड़ कर पांच सीटें जीतीं।

अगली बार यानी 2019 में सपा और बसपा साथ लड़े तो मायावती को 10 सीटें मिलीं। यह इसलिए हो पाया था क्योंकि सपा का यादव और मुस्लिम वोट मायावती से जुडा लेकिन मायावती का दलित वोट सपा के साथ जाने की बजाय भाजपा के साथ चला गया। तभी मायावती को साढ़े 19 फीसदी और अखिलेश यादव को सिर्फ 18 फीसदी वोट मिले।

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