उत्तराखंड

डेंगू मरीजों के उपचार एवं जांच में लापरवाही बरतने पर की जाए कड़ी कार्यवाही- डीएम

देहरादून। जिलाधिकारी श्रीमती सोनिका द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि डेंगू मरीजों के उपचार एवं जांच में लापरवाही पर कड़ी कार्यवाही की जाए तथा जनपद अवस्थित लैब्स एवं चिकित्सालयों का जिला स्तरीय टीम  द्वारा स्थलीय निरीक्षण करते हुए नियमित जांच की जाए। जिलाधिकारी के निर्देशों के क्रम में जिला स्तरीय टीम द्वारा जनपद अवस्थित सविता गोयल पैथोलॉजी लैब,  पेनिसिया हॉस्पिटल, सिनर्जी, चिकित्सा  कैलाश चिकित्सालय में  अनियमितता पाए जाने के फलस्वरूप  मुख्य चिकित्साधिकारी की ओर से सम्बन्धित चिकित्सा अधीक्षकों/प्रबन्धकों को कारण बताओ नोटिस जारी किये गए है।

जिला स्तरीय टीम ने पाया कि  सविता गोयल पैथोलॉजी लैब  द्वारा एक डेंगू के भर्ती मरीज (बेबी सनाया, 06 वर्ष) की 51,000 प्लेटलेट्स काउंट की रिर्पाेट दी गई थी किन्तु NABL लैब से क्रास चैक करने पर 2.73 लाख पाई गई है।
पैनिशिया अस्पताल एवं पैथोलॉजी लैब में प्लेटलेट्स काउंट का क्रास चैक किया गया है।  चिकित्सालय की पैथोलॉजी लैब द्वारा एक डेंगू के भर्ती मरीज (अभिजीत) की 10,000 प्लेटलेट्स काउंट की रिर्पाेट दी गई थी किन्तु सरकारी लैब से कासचौक करने पर 32,000 पाई गई है।

सिनर्जी अस्पताल, चिकित्सालय की पैथोलॉजी लैब द्वारा एक डेंगू के भर्ती मरीज (अजय कुमार) की 19,000 प्लेटलेट्स काउंट की रिर्पाेट दी गई थी किन्तु सरकारी लैब से क्रास चैक करने पर 30,000 पाई गई है। कैलाश अस्पताल, एवं पैथोलॉजी लैब में प्लेटलेट्स काउंट का कासचौक किया गया है। चिकित्सालय की  पैथोलॉजी द्वारा एक डेंगू के भर्ती मरीज (भगत सिंह) की 14,000 प्लेटलेट्स काउंट की रिपोर्ट दी गई थी किन्तु सरकारी लैब से क्रास चैक करने पर 80,000 पाई गई है।

टीम द्वारा निरीक्षण जांच में पाया गया कि लैब्स रिपोर्ट में अनियमिताएं पाई गई, इस प्रकार की रिपोर्ट से मरीजों के तीमारदारों में घबराहट (Panic) स्थिति उत्पन्न हो रही है प्रतीत होता है कि आप द्वारा निर्देशों एवं मानकों का सही प्रकार से पालन नहीं किया जा रहा हैं जो कि डेंगू जैसे संवेदनशील प्रकरण को गंम्भीरता से न लेना परिलक्षित होता है।

उक्त पर मुख्य चिकित्साधिकारी देहरादून द्वारा उक्त चिकित्सालयों एवं लैब्स को नोटिस प्रेषित करते हुए तीन दिवस के भीतर  लिखित प्रतिउत्तर साक्ष्यों सहित उपलब्ध कराने तथा समयान्तर्गत संतोषजनक प्रतिउत्तर प्राप्त न होने की स्थिति में सम्बन्धित के विरूद्ध Epidemic Diseases Act 1897 के अन्तर्गत कार्यवाही प्रचलन में लायी जायेगी, जिसके लिये सम्बन्धित संस्थाएं स्वयं उत्तरदायी होंगे।

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