Monday, December 11, 2023
Home ब्लॉग सरकार की यह कैसी नैतिकता?

सरकार की यह कैसी नैतिकता?

पहलवान यौन उत्पीडऩ का मामला सियासत का नहीं है। यह एक के जघन्य अपराध का मामला है। इस तरह इस मामले में जिन पर भी आंच आई है, उनकी नैतिक साख का क्षरण लाजिमी है।

यह बात बेहिचक कही जा सकती है कि नरेंद्र मोदी के बतौर प्रधानमंत्री नौ साल के कार्यकाल में उनकी सरकार की नैतिक साख का जितना क्षरण पहलवान यौन उत्पीडऩ मामले में हुआ है, उतना पहले कभी नहीं हुआ। इस दौरान राफेल और अडानी जैसे मामलों में सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे। चीन से विवाद के क्रम में सरकार की नाकामियां खूब चर्चित हुईं। नोटबंदी और अचानक लॉकडाउन जैसे मनमानी फैसलों की अब तक आलोचना होती है। अर्थव्यवस्था और आम जन की आर्थिक हालत में लगातार गिरावट को सरकार की नीतियों का ही नतीजा बताया जाता है। लेकिन इन सभी मामलों में सत्ता पक्ष और उसके समर्थकों के पास बचाव के कुछ तर्क होते थे। राफेल जैसे मामलों में अपर्याप्त साक्ष्य को कवच बनाया गया। लेकिन महिला पहलवानों (जिनमें एक नाबागिक भी है) की एफआईआर में दर्ज जो विवरण सार्वजनिक हुआ है, उसके बाद इस मामले में सरकार के रुख का बचाव क्या कोई सभ्य और विवेकपूर्ण तर्क हो सकता है?

असल में इस ब्योरे से तो आंच सीधे प्रधानमंत्री तक पहुंची है, क्योंकि एफआईआर में विनेश फोगाट ने दर्ज कराया है कि पिछले साल ही उन्होंने व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री को यौन उत्पीडऩ की घटनाओं की विस्तृत जानकारी दी थी। इस रूप में प्रधानमंत्री इस प्रकरण में एक द्वितीयक साक्षी बन जाते हैं। इस रूप में देश की आपराधिक न्याय व्यवस्था कसौटी पर आ गई है। जांच दल को इस बारे में अवश्य ही प्रधानमंत्री से जानकारी लेनी चाहिए और अपेक्षित यह है कि कोर्ट उनसे यह जाने कि विनेश सच बोल रही हैं या झूठ और अगर सच बोल रही हैं, तो प्रधानमंत्री ने जानकारी मिलने के बाद इस मामले में क्या कदम उठाए? गौरतलब है कि यह मामला सियासत का नहीं है। यह एक यौन उत्पीडऩ के जघन्य अपराध का मामला है। इस तरह जिन पर भी आंच आई है, उनकी नैतिक साख दांव पर लग जाती है। चूंकि सरकार अब तक इस मामले में अपेक्षित फुर्ती दिखाने में नाकाम रही है, इसलिए उसके नैतिक मानदंडों पर प्रश्न खड़े करना लाजिमी हो गया है। सवाल यही है कि आरोपी को किसका संरक्षण मिला हुआ है?

RELATED ARTICLES

क्यों बेलगाम हैं अपराध?

यह सिर्फ अवधारणा नियंत्रण की भाजपा की ताकत है, जिस कारण उलटी हकीकत के बावजूद इस पार्टी की सरकारें बेहतर कानून-व्यवस्था के दावे को...

ब्रिटेन- कुऑ और खाई

श्रुति व्यास उनके अपने देश में कल का कोई ठिकाना न था। इसलिए वे एक बेगाने देश में गए। लेकिन वहां भी उनका कोई ठिकाना...

ईवीएम का विवादित मसला

अगर ईवीएम अविश्वसनीय हैं, तो फिर कांग्रेस या संपूर्ण विपक्ष को इस मुद्दे को एक संगठित ढंग से उठाना चाहिए। साथ ही इन दलों...

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

महाराज ने विष्णु देव साय के छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनने पर दी बधाई

आदिवासी समाज से मुख्यमंत्री बना कर विरसामुंडा के संकल्प को पूरा किया- महाराज देहरादून। छत्तीसगढ़ में भाजपा विधायक दल की बैठक में कुंकुरी विधानसभा क्षेत्र...

अक्षय, शाहरुख और अजय देवगन को केंद्र सरकार का नोटिस, गुटखा कंपनियों के विज्ञापन के मामले में कार्रवाई

लखनऊ। केंद्र सरकार की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच को सूचित किया गया है कि अभिनेता अक्षय कुमार, शाहरुख खान और अजय देवगन...

इन्वेस्टर्स समिट के एक्ज़ीबिशन एरिया में बड़ी संख्या में पहुँचे स्कूली छात्र और आम जनता

मुख्यमंत्री के निर्देश पर सोमवार को भी खुला रहेगा उत्तराखण्ड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट” के आयोजन स्थल पर “एग्जीबिशन एरिया” देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के...

सर्दियों में भुट्टा खाना क्यों है फायदेमंद, जानिए इसके पीछे का साइंटिफिक रिजन

भुट्टा, मकई, कॉर्न से पूरी दुनिया में जाना जाने वाला मक्का एक ऐसा अनाज है जो बहुत ज्यादा सेहतमंद होता है. इसमें विटामिन, फाइबर,...

Recent Comments