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चिराग की शर्त क्या भाजपा मानेगी?

भारतीय जनता पार्टी ने लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के नेता चिराग पासवान का भाव बढ़ाया है। बिहार भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने चिराग पासवान से मुलाकात की और गठबंधन में उनको औपचारिक रूप से शामिल करने के बारे में बात की। इस बातचीत के बीच चिराग ने मीडिया में कहा कि दो तीन और मीटिंग के बाद गठबंधन में शामिल होने का फैसला है। सवाल है कि जब उनको एनडीए में शामिल होना है तो फिर दो तीन और बैठकों की क्या जरूरत है? यह जरूरत इसलिए है क्योंकि चिराग पासवान बड़ी बड़ी शर्तें रख रहे हैं। वे अपने को नरेंद्र मोदी का हनुमान बताते रहे हैं और वे पिछले कुछ समय से भाजपा के लिए प्रचार भी कर रहे लेकिन उन्होंने गठबंधन में शामिल होने की कुछ शर्तें भाजपा के सामने रखी हैं।

बताया जा रहा है कि वे अपनी पार्टी के लिए लोकसभा की पांच सीटें मांग रहे हैं। उनके पिता दिवंगत रामविलास पासवान के साथ भाजपा ने सात सीटों का ही समझौता किया था। 2014 में उनको सात सीट मिली थी। 2019 में जब उनको छह सीट दी गई तो एक राज्यसभा की सीट दी गई थी। अब पार्टी दो हिस्सों में बंट गई है। पर चिराग अपने को असली नेता मानते हुए पांच सीट मांग रहे हैं। वे चाहते हैं कि उनके चाचा को दो सीट मिले। दूसरी ओर भाजपा चिराग को तीन सीट देना चाहती है। इसके अलावा दो सीट पशुपति पारस को मिलेगी और उनके तीन सांसदों को भाजपा अपने चुनाव चिन्ह पर लड़ा सकती है।

भाजपा को उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी की पार्टियों को भी टिकट देना है इसलिए लोजपा के दोनों धड़ों को सात टिकट देना मुश्किल है। चिराग की दूसरी शर्त केंद्र में कैबिनेट मंत्री बनाने की है। बताया जा रहा है कि भाजपा राज्यमंत्री बनाने को तैयार है। उनके चाचा पशुपति पारस कैबिनेट मंत्री हैं। इसके अलावा चिराग की एक शर्त यह भी है कि भाजपा किसी भी स्थिति में नीतीश कुमार को वापस गठबंधन में नहीं लेगी। ध्यान रहे पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग ने अपने उम्मीदवार उतार कर नीतीश को नुकसान पहुंचाया था और बाद में नीतीश ने उनको एनडीए से दूर रखा था।

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