उत्तराखंड

पर्वतीय और मैदानी जिलों में वर्षा के चलते उफान पर गंगा नदी, बढ़ते जलस्तर को देखते प्रशासन ने किया अलर्ट जारी

हरिद्वार। पर्वतीय और मैदानी जिलों में वर्षा के चलते गंगा नदी उफान पर रही। पूरे दिन भीमगोड़ा बैराज पर गंगा चेतावनी स्तर 293 मीटर के आसपास बहती रही। सुबह 6 बजे गंगा का जलस्तर 292.50 मीटर, दोपहर 12 बजे 292.55 मीटर, दोपहर दो बजे 292.70 मीटर वहीं शाम चार बजे 292.85 मीटर रिकॉर्ड किया गया। इधर गंगा के बढ़ते जलस्तर को देखते प्रशासन की ओर से अलर्ट जारी किया गया है। तटवर्ती इलाकों में बाढ़ राहत चौकियों कोमुस्तैद रहने को कहा गया है। शुक्रवार देर रात हुई वर्षा के कारण निचले इलाकों में जलभराव हो गया। इससे लोगों को दिक्कतें उठानी पड़ी। शनिवार रात से रविवार सुबह तक 24 घंटे में हरिद्वार में 24 एमएम वर्षा दर्ज की गई।

जलभराव के चलते सड़कों पर कीचड़ और फिसलन से श्रद्धालुओं के अलावा दुकानदारों को दिक्कतें उठानी पड़ी। उपनगर ज्वालापुर के अलावा हरकी पैड़ी क्षेत्र के विष्णु घाट आदि क्षेत्र में मलबे से आवागमन में परेशानी हुई। पिछले दिनों हुई भारी वर्षा से वन विभाग की भूमि को भी काफी नुकसान पहुंचा है। पूर्व में जो बरसाती नाले 40 फीट चौड़े होते थे, वर्षा के तेज प्रवाह से उनका स्वरूप बदलकर डेढ़ सौ फीट से भी ऊपर पहुंच गया है, वहीं वन विभाग की भूमि पर हो रहे अवैध खनन भी भू-कटाव का प्रमुख कारण है। पिछले दिनों आई भारी वर्षा ने जमकर तबाही मचाई थी। वही वर्षा के तेज प्रवाह के चलते वन विभाग की कई बीघा संपत्ति भी पानी की चपेट में आकर जमींदोज हो गई थी। गाजीवाली का सिंबल सोत्र नाला जो पूर्व में 40 फीट चौड़ा हुआ करता था, अब नदी के तेज प्रवाह से उसका स्वरूप डेढ़ सौ फीट करीब चौड़ा हो गया है। गाजीवाली स्थित इस सिंबल सोत्र नाले में हो रहे भू कटाव के लिए अवैध खनन भी एक प्रमुख कारण है। गांव के भैंसा बुग्गी चालक नाले के दोनों ओर से जमकर अवैध खनन को अंजाम देते हैं, जिस कारण हर वर्षा में जमकर भू कटाव हो रहा है।

वहीं क्षेत्र की रवासन नदी का स्वरूप भी काफी हद तक बदल चुका है। यहां मीठीबेरी से सटे रवासन नदी भी काफी हद तक पानी की चपेट में आने से चोडी हो गई है। साथ ही हरिद्वार नजीबाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग के आसपास भी कई स्थानों पर आए दिन भू कटाव होने से वन विभाग की संपत्ति को काफी क्षति हो रही है। इस वर्षा काल के दौरान तो श्यामपुर क्षेत्र की श्यामपुर रेंज, चिड़ियापुर रेंज और रसियाबड़ रेंज में जमकर वर्षा से क्षति हुई है। वहीं मामले में उप वन संरक्षक (प्रभागीय वनाधिकारी) नीरज शर्मा ने बताया कि नालों की मरम्मत के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। बीते रोज आई वर्षों से हुए नुकसान के बाद मरम्मत का कुछ कार्य करवाए भी गया था। संबंधित वन क्षेत्राधिकारी को तत्काल खनन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने को निर्देश दिया जा रहा है।

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