सरकार के रिस्पना बिंदाल एलिवाटेड रोड बनाने के प्रोजेक्ट पर हरीश रावत ने उठाए सवाल, साथ ही दिया अपना सुझाव
सरकार ने रिस्पना बिंदाल में एलीवेटेड सड़क का निर्माण करने की बात कही हैं ऐसे में हरीश रावत ने इस प्रोजेक्ट पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं
सामान्यतः रिस्पना और बिंदाल के ऊपर एलिवेटेड रोड बनाने का प्रस्ताव बुरा नहीं है। मगर जब हम देहरादून के व्यापक हित में देखते हैं और रिस्पना व बिंदाल जो एक प्रकार से देहरादून की दो वाई धमनियां हैं, जब उनके अस्तित्व को बचाने के सवाल पर देखते हैं तो एलिवेटेड रोड का अर्थ है, बिंदाल और रिस्पना जो पहले ही बुरी तरीके से घिर चुकी हैं, उनको हमेशा के लिए दफना देना। मैं समझता हूं पर्यावरणीय और दूसरे दृष्टिकोणों से भी यह मामला ऐसा होना देहरादून की नैसर्गिकता के साथ अत्याचार होगा। दो कदम जो एक साथ उठाए जाने चाहिए।
1. एक हरिद्वार-ऋषिकेश-देहरादून- राजपुर, कहीं पर भी जहां पर तक मेट्रो रेल ले जाना चाहें और वो हमारी इन रोडों को एलीवेट करके भी जो इस समय की हैं यह मेट्रो को बनाई जा सकती है।
2. दूसरा रास्ता है कि आप रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के काम को आगे बढ़ाएं।
हमने 2015 में शुरू किया था, ब्रह्मपुरी से आउटर रोड तक और काफी जमीन निकल आई थी। वहां इतनी जमीन निकली थी कि उसमें जो मलिन बस्तियां हैं उनमें लोगों को बसाने के लिए भी, पार्क के लिए भी और पार्क के साथ रोड आदि बनाने के लिए भी और कुछ स्थानों पर व्यापारी कॉन्प्लेक्स बनाने के लिए भी जगह निकल आ रही थी। कोई भी व्यक्ति जा करके देख सकता है जो आज तो फिर से आच्छादित हो गई है कि कितनी जमीन निकल आई थी! अब आप मलिन बस्तियों के मालिकाना हक की बात कर रहे हैं तो आप समझते हैं कि उनके लिए कहीं जमीन है आपके पास, तो जमीन उनके लिए भी निकालनी है, जहां वो बसे हुए हैं वहीं से निकालनी है तो एलिवेटेड रोड सारी विकास की संभावनाओं को बंद कर देगी और रिवरफ्रंट डेवलपमेंट व मेट्रो विकास की सारी संभावनाओं को खोलेगी और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से ये देहरादून और देहरादून प्रेमियों की हित में होगा। मेट्रो के लिए हमने तो कॉरपोरेशन भी गठित किया था, एम.डी. भी नियुक्त किए थे। पता नहीं अब क्या स्थिति है, मुझे मालूम नहीं है।